दोस्तो, भाषासेतु और हिंदी साहित्य की दुनिया में पहली बार दाखिल होने वाले ये हैं नफीस खान। ३० नवम्बर १९८६ को बेतिया, बिहार में जन्मे नफीस जेएनयू में चाइनीज भाषा के स्नातक हैं और हिंदी साहित्य से इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था। निहायत ही पहली बार इन्होंने यह कविता लिखी है, जिसमें जेएनयू का लोकेल एक किरदार के रूप में मौजूद है। देखते हैं हिंदी के पाठक नफीस और इनकी इस पहली कविता को कैसे लेते हैं।
नफीस खान
ये अमलतास के पीले फूल
ये अमलतास के पीले फूल
न जाने कब से
महक रहे हैं
बिना खुशबुओं के
इन पत्थरों की वादियों में
अपने होने को उकेरते हुए
हर साल कुछ पीलापन
छोड़ जाते हैं इन लाल पत्थरों के सीनों पर
बीतते हैं ये फूल भी
इतिहास के पन्नों की तरह
एक नए अध्याय की तरफ
एक नए अध्याय के इंतज़ार में
इन पत्थरों की वादियों में
ये अमलतास के पीले फूल
ये अमलतास के पीले फूल
न जाने कब से महक रहे हैं
अपनी खुशबुएँ लुटा के।