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Saturday, March 20, 2010

कुछ पेंटिंग्स











चन्दन सेनगुप्ता पश्चिम बंगाल के होनहार चित्रकार, जिनकी एक कविता 'ओसमान बन्दा ओ आमार रात' आपने हाल ही में हमारे ब्लॉग पर मूल बंगला में पढ़ी है, अब प्रस्तुत है उनकी कुछ पेंटिंग्स। पेंटिंग्स में आजकल इनका मन कुछ ज्यादा ही लगता है।
मोबाइल ०९८३०४७५३७६








Tuesday, March 16, 2010

ওসমান বেন্দা ও আমার রাত
কালো ছায়া কেটে
সিড়িপথ উঠেছে ওপরে
চিলে কোঠার ঘরে
মশারির খুট বেয়ে নেমে আসে
পৌষের রাত
কুড়ে খায় স্তব্ধতা
ইদুরের দাঁত
শীতল সিসের মতো পৌষের রাত
নেমে আসে চোখের পাতায়
রাত বাড়ে ঘুমে অঘুমে
রাত বাড়ে উত্তরে দক্ষিনে
ঘুমের ফাঁদে আটকে পড়ে রাত
রাত যত বাড়ে বাড়ে ইদুরের দাঁত


चन्दन सेनगुप्ता
युवा कवि, हालाँकि पहले खूब कवितायेँ लिखते थे, फिलहाल चित्रकारी में व्यस्त रहते हैं
रहनवारी: कम्पा, kancharapara , उत्तर २४ परगना, पश्चिम बंगाल, मोब : 09830475376