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अखबार को अगर लोकतंत्र का चौथा खम्भा माना जाता है तो आज के बदले युगीन सन्दर्भों में ब्लॉग को लोकतंत्र का पांचवां खम्भा माना जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह मानना है प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह का। अभी हाल ही में महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की अलाहाबाद इकाई ने 'ब्लौगिंग' पर राष्ट्रीय स्तर के सेमीनार का आयोजन किया। इस अवसर पर नामवर जी के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय भी उपस्थित थे। साथ ही देश के भिन्न भिन्न हिस्सों से तकरीबन पैंतीस ब्लौगर भी आये हुए थे। दो दिवसीय इस आयोजन में 'हिंदी : ब्लॉग विचार अभिव्यक्ति का नया माध्यम', 'अन्तर्जाल पर हिंदी भाषा और साहित्य' एवं 'ब्लॉग का तकनीकी पक्ष' जैसे विषयों पर विचार किया गया।
हिंदी ब्लौगरों के लिए निश्चित रूप से इसे एक खुशखबरी के तौर पर लिया जाना चाहिए, कि ब्लॉग को अब मुख्यधारा के साहित्यकारों ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।
2 comments:
bahut sundar paintings hai
sushil kanti
इस सूचनाक्रान्ति के दौर में ब्लॉग की महता सचमुच बहुत बढ़ गई है...
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