Wednesday, January 20, 2010

ब्लॉग है लोकतंत्र का पांचवां स्तम्भ


अखबार को अगर लोकतंत्र का चौथा खम्भा माना जाता है तो आज के बदले युगीन सन्दर्भों में ब्लॉग को लोकतंत्र का पांचवां खम्भा माना जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह मानना है प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह का। अभी हाल ही में महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की अलाहाबाद इकाई ने 'ब्लौगिंग' पर राष्ट्रीय स्तर के सेमीनार का आयोजन किया। इस अवसर पर नामवर जी के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय भी उपस्थित थे। साथ ही देश के भिन्न भिन्न हिस्सों से तकरीबन पैंतीस ब्लौगर भी आये हुए थे। दो दिवसीय इस आयोजन में 'हिंदी : ब्लॉग विचार अभिव्यक्ति का नया माध्यम', 'अन्तर्जाल पर हिंदी भाषा और साहित्य' एवं 'ब्लॉग का तकनीकी पक्ष' जैसे विषयों पर विचार किया गया।

हिंदी ब्लौगरों के लिए निश्चित रूप से इसे एक खुशखबरी के तौर पर लिया जाना चाहिए, कि ब्लॉग को अब मुख्यधारा के साहित्यकारों ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।

2 comments:

Anonymous said...

bahut sundar paintings hai
sushil kanti

विमलेश त्रिपाठी said...

इस सूचनाक्रान्ति के दौर में ब्लॉग की महता सचमुच बहुत बढ़ गई है...