Monday, October 25, 2010

सुधांशु फिरदौस की कवितायेँ!

सुधांशु हिंदी के उभरते युवा कवियों में से हैं. अब तक उनकी कुछ ही कविताएँ प्रकाशित हुई हैं. फिलहाल वे दिल्ली में रहते हैं और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत कंप्यूटर साइंस में स्नातकोत्तर के छात्र हैं. यहाँ उनकी कुछ कविताएँ...

दवा

दुःख के आकाश में
प्यार का चीरा लगा के
उम्मीद ने पूछा -
अब, कैसा लग रहा है?..


बाज़ार

मैं उड़ रहा हूँ
आसमाँ में,
तू निगल रहा है जमीं पे
मेरी परछाई!

अकेलापन

रात
में
रेत
पे
लेट
के
प्यास
ने
सोचा,
दिन
कितना अच्छा होता है...


उम्मीद

शहतीर से टंगी लालटेन
रात भर जलती रहती है

उसी उम्मीद की तरह
जो छोड़ आया था,
तुम्हारी आँखों में
आखिरी बार...

फ़रिश्ता

उसे पता था
वह कभी नहीं आएगा

फिर भी उसने, उसके आने की अफवा फैलाई
ताकि उम्मीद जिन्दा रहे!

पता

मै वहाँ नहीं रहता
जिस घर का पता मेरे पहचान पत्र में लिखा है
मै वहाँ भी नहीं रहता जहां से ये पंक्तियाँ लिखी जा रही है
मै कहाँ रहता हूँ
यह कोई नहीं जानता
खुद मैं भी नहीं।

दोस्ती

औंधे मुँह लेटे आकाश ने
सीधे मुँह लेटे आदमी से कहा -
‘कितने अकेले हो तुम?’
...
एक फुसफुसाहट हुई -
‘तुम भी तो...’
और दोनों हँसने लगे।

13 comments:

Arpita said...

रोज़-रोज़’सुबह-सुबह ऐसी कविताओं की चाह बढ गयी....बधाई....

सागर said...

बहुत सुन्दर कवितायें.. पहली वाली तो सबसे अच्छी लगी. इसके आलावा अकेलापन और दोस्ती भी बहुत बेहतर है.

NC said...

kavitayen bahut achi hain. shrikantji ke aane se waqai bhashasetu men gati aai hai.keep it up.

अरुण चन्द्र रॉय said...

सुंदर कवितायें.. नई तरह की कविता..

Unknown said...

Allah ka sukar hai mai aise sakh ke sath raha hu
Bus Dil ek baat nikalti hai

" JAHAH PANAH TUSSI
GREAT HO"

apna to TREAT banta hai janab

khali d akhan said...

kaivta me ek nayapan hai aur ek khichav bai hai दवा
बाज़ार kavita parshtithiyo par veng kari hai wahi.wahiअकेलापन उम्मीद
aur jaisshi kavita likh kaRapni akle pan se khilvad karta hai...wakai sundar kavita hai

Rangnath Singh said...

बहुत सुंदर कविताएं हैं। कवि की उदात्तता और निष्छलता प्रभावित करती है।

शिरीष कुमार मौर्य said...

bahut achchhee suvicharit aur sanyamit kavitaaein hain ye... sudhaanshu ko badhai aur tumhein shukriya kunaal.

डॉ .अनुराग said...

पहली दो अच्छी है .लालटेन वाली गुलज़ार साहब से प्रेरित है

Vishal Doulani said...

सुधांशु हिंदी के उभरते युवा कवियों में से हैं. अब तक उनकी कुछ ही कविताएँ प्रकाशित हुई हैं,lakin bhai maine ab tak unki jo bhi kavita phari ha bahad-bajoor ha..ex-yah sahar delli,mahanayika,abola..inha bhi post kara.

सुभाष नीरव said...

सुधांशु फिरदौस की कविताएं पहली बार पढ़ीं। ये छोटी छोटी कविताएं बहुत सुन्दर लगीं। ठहर ठहर कर पढ़ने को मन होता रहा। बधाई !

स्वप्निल तिवारी said...

सुधांशु को पढ़ना सुनना हमेशा ही अच्छा लगता है ...शब्दों को बहुत संभाल के खर्च करने वाले कवियों मे से हैं वो ...

संदीप प्रसाद said...

सुधांशु जी, बेहतरीन कविताएँ हैँ। फरिश्ता और दोस्ती मुझे बहुत ही बेहतरीन लगी। कविता के लिए बधाईयाँ !