महिमा का मिथ
(वियतनाम युद्ध से सम्बंधित कविताएँ)
जॉन केंट
अंग्रेजी से अनुवाद : कुमार अनुपम
एक
एक अनाथ लड़का
जिसकी एक ही बांह,
मुझे एकटक घूरता रहता है
घृणा की एक लम्बी उम्र
इन आठ संक्षिप्त सालों में...
दो
हम जीत लेते हैं गाँव के गाँव
वीसी के नाते प्रतिष्ठित है जो
ग्रामीण कपड़ों में लिपटा होने के बावजूद
वे दागते एके ४७
जवाब में हम उन्हें मार डालते
'हुच्च' की आवाज़ सुनते हम चीखते-
अपने हथियार डाल दो, बाहर आओ, अपने हाथ ऊपर उठाए हुए!
(वियतनामी कबूतरों!)
वे जवाब देते अपशब्द और आग के साथ
बारूद से भर देते हम उनकी 'हुच्च'
बस एक ग्रेनेड उछालकर
सन्नाटा...
सावधानी से हम झांकते भीतर
सभी तो मृत...
एक नवयुवती
नवजात शिशु को जकड़े हुए अपनी छाती से
एकमेक
रक्त की नदी में।
तीन
लड़का जो दस से अधिक का नहीं
कुझे चकाचौंध करता अपने कपड़ों तले से
हथियार चमकाता है
मुझे एक उदार आश्वस्ति दो
पूछो मुझसे क्यों
मौत के घाट उतारा मैंने एक दस साल के लड़के को!
4 comments:
कविताएं झझोर देती है भीतर तक.......ये कविताएं दस्तावेज है ....इंसान के भीतर ख़त्म होती आदमियत का
Manushyhta ka ant hi YUDDH k janm ka karak hai.Saare upayukta sarokaro k bavjud yuddh patan aur avnati k pksh mein khada ho jata hai. Mahatwakanksha k sangharsh mein manav harta hai.Sunder anuwad.
Vijaya
Manushyhta ka ant hi YUDDH k janm ka karak hai.Saare upayukta sarokaro k bavjud yuddh patan aur avnati k pksh mein khada ho jata hai. Mahatwakanksha k sangharsh mein manav harta hai.Sunder anuwad.
Vijaya
शानदार कवितायें और उम्दा अनुवाद…अनुपम को बधाई
Post a Comment