Wednesday, January 05, 2011
मलयाली कविता
अयप्प पणिक्कर
पणिक्कर मलयाली कविता में आधुनिक कविता के जनक माने जाते हैं। वे पहले कवि हैं, जिन्होंने मलयाली मेंपूर्ण यथार्थवादी, समसामयिक और रोज़मर्रा की बोलचाल में कविताई का साहस किया। वैसे तो पणिक्कर कोअनुवाद करना मुश्किल है, पर रति सक्सेना ने यह कष्टसाध्य कार्य बखूबी किया है। उनकी बहुचर्चित लम्बी कविता 'कुरुक्षेत्र' मलयाली साहित्य में आधुनिक कविता का प्रवेशद्वार कही जाती है। केरल साहित्य अकादेमी, कबीर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार, कुमार आशानपुरस्कार आदि से सम्मानित।
वह मर गया
वह मर गया
वह रोई नहीं
वह मर गया
फिर भी वह रोई नहीं
वह मर गया
लेकिन वह रोई नहीं
पहला प्यार
दुनिया में कुछ भी नहीं है
पहले प्यार जैसा
यदि कुछ है तो
वह है दूसरा प्यार।
दूसरे प्यार की तरह
केवल एक चीज़ है इस संसार में
वह है-
यदि मौक़ा मिले तो तीसरा प्यार।
इतना जान गए तो
सबकुछ जान लिया
दार्शनिक बन जाओगे
मुक्ति मिल जाएगी।
भेड़
एक प्यारी सी भेड़
दुलारी सी भेड़
पकने पर कितनी
स्वादिष्ट भेड़।
र
बरररसात
बरसात जैसे
रिम झिम झिम झिम
नहर जैसे
हर हर हरा हर
कीड़े जैसे
कुर्र कुर्र कुर्र्रू रु रु रु
सड़क जैसे
सर्रर्र सररर सरा
बरसती है
बहती है
रेंगती है
सरकती है
खूबसूरत जैसे...
मौत
हम कल नहीं मिले होते तो
ढेर सी शंकाएं मेरे मन में बनी रहतीं
अच्छा ही हुआ कि हम मिले और बातचीत की
मैंने तुझे अपना दुश्मन समझा था
आज मैं बहुत करीब महसूस कर रहा हूँ
तेरे बिना न ज़िन्दगी, न खूबसूरती और न प्यार
काफी घुटा घुटा महसूस करता
तेरी बनाई सीमाओं में
लेकिन आज समझ रहा हूँ तेरी भलाई
तेरी अनुपस्थिति से होने वाली घुटन ने
डरा दिया मुझे, मेरी दोस्त!
तू मेरी आत्मा का दूसरा रूप, मेरा आधार
तेरे बिना क्या खूबसूरती, क्या प्यार और क्या ज़िन्दगी!
वही कर जो तू चाहती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
... prasanshaneey prastuti !!
बहुत संदर प्रस्तुती। बहुत सहज अनुवाद।
सुंदर कविताओं की सुंदर प्रस्तुति।
छोटी छोटी सुन्दर कवितायेँ ..आज आपकी यह पोस्ट जिसमे अयप्प पणिक्कर जी कि मलयाली कविताओं का हिंदी अनुवाद है.. चर्चामंच में है...
आपका आभार .. http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/blog-post_07.html
Post a Comment