Wednesday, February 23, 2011

सुधांशु फिरदौस की तीन कवितायेँ

पश्चिम बंगाल से कुछ तस्वीरों की पोस्ट के बाद, भाषासेतु अपने वायदे के मुताबिक़ एक बार फिर से हाज़िर है। सिलसिले में इस बार कोमल अभिव्यक्ति से सराबोर कविताओं वाले बिलकुल युवा कवि सुधांशु फिरदौस। सुधांशु की तीन कवितायेँ।

अप्रैल में

सोंधी गंध
गिरे हैं महुए
टप!
टप!

कूके-
रातों को कोयल
जैसे एक बेचैनी
और तुम!

उजाड़ दिन
निचाट रातें
उड़े सेमल की रुई
बेतरतीब
जैसे एक बेअख्तियारी
और तुम!

कागज पे लिखना
लिखके पढना
पढके फाड़ना
फाड़के फिर जोड़ना
जोड़ के फिर - फिर से पढना
जैसे एक बेकारी
और तुम!

चाँद क्या करेगा

जब सारे तारे चले जायेंगे
न जाते जाते
रात भी चली जायेगी
तो चाँद क्या करेगा

जब दुःख की चादर
इतनी फ़ैल जायेगी
कि बाहर निकलने की कोई सूरत नहीं बचेगी
जब समूचे आकाश का भार
अकेले उठाना मुश्किल हो जायेगा
जब लम्बे से भी लम्बा होता जायेगा
किसी के आने का इंतजार
आँखें दिए के कोर की तरह
स्याह से स्याह्तर होती चली जायेंगी
तो चाँद क्या करेगा

मेरा प्यार

मेरा प्यार
तुम्हारे दिल में
गोया दीवार पे टंगा
एक पुराना कैलेंडर
त्यक्त - भूला - ठुकराया सा
बस इस गरज से कि
उसमें लगी तसवीर को
भुला न पायी तुम

मेरा प्यार
तुम्हारे बेडरूम के कोने में पड़ा
लाफिंग बुद्धा
देखता तुम्हारे आंसुओं को ढलकते
निर्जीव सी हँसी
चस्पा उस पर

तुम्हारी घुलती - कठुआयी खीझ
पुरानी दीवार के चूने सरीखी
चेहरे से झड़ती तुम्हारी तड़प
बार बार पोंछना उसको तौलिये से
देखना सूजी आंखों को आईने में
फिर चुपके से
घोंट जाना मुँह में आए थूक को
अनचाही उम्मीद को ठुकराती
एक मलानत
इतने सालों बाद भी
तुम्हारे दिल में दबा
हाय...
...मेरा प्यार

4 comments:

Anonymous said...

'MERA PYAR' kavita bahut bahut hi achi hai. sudhanshu ji ki aur kavitaein kahan milengi?

teeno kavitaein lajawab.

Anonymous said...

‎"जब लम्बे से भी लम्बा होता जायेगा
किसी के आने का इंतजार
आँखें दिए के कोर की तरह
स्याह से स्याह्तर होती चली जायेंगी
तो चाँद क्या करेगा..."
...achchhi kaviayein padhvane ke liye shukriya!

Satyanand Nirupam

Chandan said...

It has always been an enchanting experience in going through your poems.The poems simply blow the conch of a new renaissance in Hindi literature...Please carry on the composition so that we(the readers) could survive in the era of dearth of good poetry...

लीना मल्होत्रा said...

chand kya karega ..sundar abhivyakti. baaki rachnaaye bhi sundar hai.