Tuesday, January 19, 2010
कामरेड को अंतिम लाल सलाम
भारतीय राजनीति के शलाका पुरुष कामरेड ज्योति बसु का जाना एक किंवदंती का मिट जाना है। पिछले दो दिनों से हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं के अखबारों में पोलिटिकल स्पेक्ट्रम की ओर से ज्योति बसु को जितनी श्रद्धांजलियां दी जा रही हैं, ज़ाहिर है कि उनका क़द क्या था! आप अगर उनकी विचारधाराओं से इत्तेफाक न भी रखते हों, तो भी उनके जाने से उपजे शून्य का एहसास आपको ज़रूर होगा।
कामरेड बसु की अनुपस्थिति को महसूस करने का अपना एक राजनीतिक अर्थ है। भारतीय राजनीति पिछले कुछ दशकों से जिस स्खलन का शिकार हुई है, और ऐसे समय में वे अपने जिन गुणों के लिए जाने जाते थे, उनके जाने का क्या ये अर्थ है कि भारतीय राजनीति से उन गुणों की भी विदाई हो चुकी। याद करें, एक बार उन्होंने कहा था- 'आई एम नाट अ जेंटलमैन, आई एम अ कम्युनिस्ट।' आज कितने लोग हैं जो अपने वजूद से अपनी विचारधारा को चस्पां कर सकें। जहाँ तक उनके व्यक्तित्व का सवाल है, उनके जैसे जेंटलमैन भी भारतीय राजनीति में कम हुए।
एक तरफ तो ये, दूसरी तरफ उनके बारे में कई ऎसी चीजें भी मशहूर हैं जो एक राजनीतिज्ञ के लिए अवांछित हैं। पिछले तीस सालों में बंगाल की राजनीति का जिस तरह से अपराधीकरण हुआ, उसकी शुरुआत ज्योति बाबू के कार्यकाल में ही हुई। कई मिल-कारखाने बंद हुए, और कलकत्ते की उपमा एक 'सिंकिंग शिप' से दी जाने लगी। सरकारी महकमे में कार्य क्षमता में लगातार गिरावट और ट्रेड यूनियन की ज्यादतियों के लिए भी ज्योति बाबू का कार्यकाल ही दोषी है।
फिर भी यह तो कहा ही जा सकता है कि विपक्षी एकता को संचालित-संयमित करने में जो भूमिका साठ के दशक में लोहिया और सत्तर के दशक में जे पी ने निभायी थी, वही भूमिका १९७७ से २००३ तक ज्योति बाबू की रही।
ज्योति बाबू का जाना निश्चित रूप से भारतीय राजनीति की एक अपूर्णीय क्षति है।
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3 comments:
laal jyoti ko mera bhi laal salam. sirf bangal nahin poore bharat ki rajniti ke liye jyoti da ka jana hardik kasht ka vishay hai.
Kumar anupam
blog ka sampadakiya padhkar jyoti baboo ke jivan sangharsh ka smaran ho aaya. ye sach hai ki jyoti baboo ek kimvadanti purush the. dehavasan ke baad ab we ek myth ban gaye hain. Blog ko meri subhakamnayen aur ye ummid ki isse hindi aur bangla ke beech ek aur sarthak setu nirmit hoga.
Sushil siddharth
One of my good friend Mr. Koushik Rudra had rightly compiled the achievements of Jyotibabu.
Here it is:
Jyoti Basu’s Achievements
1. Yeh azadi jhoota hai - thats why didnt hoist tiranga till 80s. Later he said it was a historical blunder.
2. Jyotibabu and communists said that Ravindranath Tagore and Swami Vivekananda were burgeos
3. They halted computers in Bengal
4. After a lady state government official was gangraped in broad day light by CPM cadre/goons, media asked "dont you think the law and order scenario in Bengal has broken down", Jyoti Babu's comment was, "Erom to koto hoyei thake" means - its a common incident that does not imply thats law and order in Bengal has broken down.
5. Abolished English from primary schools thus jeopardizing a few generations of Bengalis in their pan India competitive strength.
6. Politicised the entire administrative machinery of Bengal, starting from civil servants, police, college professors, school teachers, etc etc - it was a grand party cadreraj - for breathing also you have to take endorsement from party.
7. Jyotibabu was the father of militant trade unionism, which drove away industries and businesses from Bengal
8. He was also the father of the bandh and strike in India
9. Jyoti Babu and his commie clan covertly supported the chinese during the Indo-China war.
10. West Bengal plunged into acute power problem. The moment power used to go ladies used to say. "Jyoti Babu Gone"
11. Corruption and nepotism got a new meaning and definition under his reign of him - see wealth of Chandan Basu, his son.
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