'भाषासेतु' के दोस्तों को बताते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है कि आज के बाद इस ब्लॉग के दो नहीं, तीन सम्पादक होंगे। हमारे तीसरे साथी हैं
श्रीकांत दुबे। श्रीकांत मूलतः कवि हैं। उन्होंने इधर कुछ कहानियां भी लिखी हैं, जो 'तद्भव', 'नया ज्ञानोदय' जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपी हैं, चर्चित-प्रशंसित हुई हैं। अभी हाल में ही उन्हें भोपाल में कहानी पाठ के लिए भी आमंत्रित किया गया था। श्रीकांत का एक अवदान और है कि वे मूल स्पैनिश से अनुवाद का काम भी कर लेते हैं। आशा है, श्रीकांत के इस ब्लॉग से जुड़ने के बाद 'भाषासेतु' में गतिशीलता आएगी, जिसका अभाव पिछले कुछ समयों
से देखने को मिल रहा है।
कुणाल सिंह
13 comments:
श्रीकांत दुबे जी को बधाई। इस जानकारी के लिये आभार।
Srikantji, apka bhashasetu par swagat hai.
अब फटाफट कुछ डाल दीजिये पढने को.....
श्रीकांत के इस ब्लॉग से जुड़ने के बाद 'भाषासेतु' में गतिशीलता आएगी, जिसका अभाव पिछले कुछ समयों से देखने को मिल रहा है।
--- Aameen
बधाई श्रीकांत ....
आभार।
यह खुशखबरी सुनकर आनंद सा आया. महाराज ध्रितराष्ट्र को यह सुभ समाचार सुनाया तो वे यों चौके मानो उनकी आँखों की रौशनी वापस आ गई हो. उन्होंने मुझे मोतियों^ की माला भेंट की और कहा, "युवराज दुर्योधन ने कर्ण को चित्त कर ही दिया.'' अंग नरेश फेसबुक पर अपना चेहरा भी नहीं दिखा रहे है. कर्ण से महाराज भी नाराज चल रहे हैं. हिन्दी समाज में कोइ ही होगा जो उन महाशय के हरकतों^ से खुश होगा. आपको बधाई, दुश्मन के घर में^ आपने अच्छी सेंध मारी है. आप सही अर्थो में युवराज हैं, इससे अब किसी को ऐतराज नहीं होगा. यो भी कर्ण के ब्लॉग के सभी पुराने रचनाकार छोड़ कर जा चुके हैं. अंग नरेश का अंत समय आ ही गया.
आपके पिता की आँख,
संजय
mahoday anoymous, apko pata hona chahiye ki ang naresh aur main, arthat yuvraaj duryodhan bahut achhe mitr hain. aur maf kijiyega, hamare bich waisi shatruta v nahin jaisa apne farmaya hai. apki jankari k liye bata dun ki jaldi hi meri ek rachna ang naresh k blog par shaya hone wali hai. isliye so sorry 4 u ki aap galat jagah par aa gaye. apke liye sahi jagah hans magzine, awinash ka blog, aur sanam harjai ka digest hai, wahin aap jaayen, idhar galati se v apna kadam na badhaayen.apke jaise chutiyon k liye 'bhashasetu' thik jagah nahin hai
सभी मित्रों द्वारा स्वागत, और उनके प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया!!
@ अनोनिमस : आपके ईश्वर से आप और वेदव्यास को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना तो मैं नहीं कर सकता, लेकिन आपकी विक्षिप्त आत्माओं को जल्द ही शान्ति मिले, ऐसी विनती जरूर करूंगा. आपके सूचनार्थ, आपके इन छुद्र अस्त्रों के लिए यूँ तो कर्ण को कवच - कुंडल का भी प्रयोग नहीं करना पड़ेगा और वह हमेशा की तरह अकेला ही काफी होगा, लेकिन फिर भी हम सब साथ हैं. आशा है कि आप जैसों का अज्ञातवास कभी भी ख़त्म नहीं होगा और आपमें सामने आने की हिम्मत भी कभी नहीं होगी, बाकी हम सभी के शुभ के समाचार तो (स्वभावतः) आप खोज खोज कर सुनते ही रहेंगे...
श्रीकांत दुबे जी को बधाई।
अनॉनिमस वगैरह पर कमेंट मॉडरेशन लगाईये, प्लीज.
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