Wednesday, November 24, 2010

निकानोर पार्रा की कवितायेँ

चिली के अनिवार्य कवि निकानोर पार्रा की इन चार कविताओं का अनुवाद 'मनोज पटेल' का है। मनोज ने थोड़े ही समय में अनुवाद की दुनिया में एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है। अनुवादों में भाव को मूल कथ्य के बेहद करीब तक पहुंचाते हुए, उनकी कड़ी मेहनत साफ़ झलकती है। दूसरी अनेक भाषाओं से बहुतेरी रचनाओं के अनुवाद के लिए मनोज का ब्लॉग http://www.padhte-padhte.blogspot.com देख सकते हैं।

निकानोर पार्रा के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस
हाइपर लिंक पर क्लिक करें।



ताकीद



अगर यह चुप्पी को पुरस्कृत करने का मामला है
जैसा कि यहाँ मुझे लग रहा है
तो किसी और ने नहीं बनाया है खुद को इतना काबिल
सबसे कम फलदायी रहा हूँ मैं
सालों साल छपाया नहीं कुछ भी


आदी मानता हूँ खुद को
कोरे कागजों का
उसी जान रुल्फो की तरह
जिसने लिखा नहीं उससे ज्यादा एक भी लफ्ज़
जितना कि था बहुत जरूरी.
* *


शांतिपूर्ण रास्ते पर आस्था नहीं मेरी


हिंसक रास्ते पर आस्था नहीं है मेरी
होना चाहता हूँ किसी चीज पर आस्थावान
लेकिन नहीं होता
आस्थावान होने का मतलब है आस्था ईश्वर में

ज्यादा से ज्यादा
झटक सकता हूँ अपने कंधे
माफ़ करें मुझे इतना रूखा होने की खातिर
मुझे तो भरोसा नहीं आकाशगंगा में भी.
* *


पखाने पर मक्खियाँ


इन कृपालु सज्जन से - पर्यटक से - क्रांतिकारी से
करना चाहता हूँ एक सवाल :
क्या देखी है कभी आपने मक्खियों की एक सेना
पखाने के ढेर पर चक्कर लगाती
उतरती फिर काम को जाती पखाने पर ?
क्या देखी हैं आपने पखाने पर मक्खियाँ आज तक कभी ?


क्योंकि मैं पैदा और बड़ा हुआ
पखाने से घिरे घर में मक्खियों के साथ.
* *


ईश्वर से प्रार्थना


परमपिता जो विराजते हैं स्वर्ग में
हैं तरह-तरह की मुश्किलों में
त्योरी से तो लगता है उनकी
कि हैं वो भी एक आम इंसान.
ज्यादा फ़िक्र न करें आप हमारी प्रभु.


हमें पता है कि हैं आप कष्ट में
क्योंकि घर अपना व्यवस्थित नहीं कर पा रहे आप.


पता है हमें कि शैतान नहीं रहने देता आपको चैन से
बरबाद कर देता है आपकी हर रचना को.


वो हंसता है आप पर
मगर रोते हैं हम आपके साथ.


परमपिता आप जहां हैं वहां हैं
गद्दार फरिश्तों से घिरे.
सचमुच
हमारे लिए कष्ट मत उठाइए ज्यादा.
आखिर समझना चाहिए आपको
कि अचूक नहीं होते ईश्वर
और हम माफ़ कर देते हैं सबकुछ.





2 comments:

Unknown said...

manoj patel n kunalji se nivedan hai ki 'RAG DARBARI' pe kuchh CHUTEELA sa comment post karne. anuvad to bahut ho chuka. VIKRAM SINGH KALPTARU

सोनू said...

दूसरी अनेक भाषाओं से बहुतेरी रचनाओं केΛअनुवाद के लिए मनोज का ब्लॉग http://www.padhte-padhte.blogspot.com देख सकते हैं।

"अंग्रेज़ी से"