Monday, November 29, 2010

बंगाल की कविता

(मिहिर सरकार की कविता बाघ। मिहिर सरकार का जन्म १० नवम्बर १९५३ को हुआ था. अबतक उनके ७ काव्य संग्रह और कहानियों की किताब भी प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका संपर्क सूत्र : ०९८३०३४७८७५)

बाघ

हो सके तो बाघ पालिए
घर में अगर बाघ हो तो देनदार नहीं आते
तंग नहीं करते छोटे-मोटे जानवर
नाप-तौलकर, हंसकर बातें करेंगे
शत्रु-मित्र सभी

इसीलिए अब बाघ पाल सकते हैं
समाज के सारे बघा ऐसे ही जीते हैं.

अनुवाद : सुशील कान्ति

3 comments:

रामजीलाल चौधरी said...

"समाज के सारे **बघा** ऐसे ही जीते हैं"

NC said...

Sushil ji,
Kitne dino ke baad aapne kuch post kiya hai bhashasetu par.
achcha laga ki itne dino ke baad hi sahi aapne kuch apna to post kiya par ye kya? bas itna hi?
aapki aur kavitaein padhni hai.
jab meine dekha ki anuvadak ka naam sushil kanti hai to sabse pehle meine seema ji ko dikhaya.
kavita achchi hai.

उत्‍तमराव क्षीरसागर said...

हि‍म्‍मत की बात : हि‍म्‍मतवर बात !